काछवो काछवी रहता समंद में दोनों हरि का दास दर्शन करवा निसरी यारे धार लियो विसवास संता ने आवत जानीया रे पकड झोली में दालीया रे तडप मत का छब कुडीरे सावरारी रिवा रूडी रे भक्ति रा भैद भारी रे लके कोई संत मुरारी रे संत जन कृपा करीरे भक्ता ने लिया उठाय डेरा पर […]
नलरे सरीसा राजवी दयंवती जैसी रानी रे बिको पड़ीया बन बन फिरे बीना अन्न जल पानी रे टेर सुख दुःख मन मती लावना सुख दुःख साथे रे घडीया विधनारा लिखीयोड़ा नाटले हरिचंद जैसा रे राजवी तारा जैसी रानी रे भगी घर बासो लियो भरीयो नीच घर पानी रे सीता रे जैसी भार्या रघुवर जैसा स्वामी […]
पाण्डवा रा कुल माही जेठल राजा गढ़ हस्तिना पूर राज करे रे आप आपरी छोकीया जाओ अके बड़ वाली छोड़ी भीम फिरे रे टेर सुन लीजो सेल सक्त वाली बाता सती दोपता अवतार लियो रे पाँच पाण्डवा ने राणी लेने तीरे रे पवन देवता पवन बुआरे इन्द्र राजा छिटकाव करे जाजमा विचीजे प्रदम सिंहासन अधर […]
ऐरा मिनधारी हावै जारी ममता न डोले समजी व्यामे सासा है ना ही सेन भगत घर संत पधारीया हस मिल्या दोनों नर नारी पाव धोय चरनामृत लीनों हिरदा में हेत हूया भारी केवे सेनजी सुनो स्त्री करो रसोई म्हारला हरताई थे तो यानी सेवा में रही जो में जावु राजा वाई केवे स्त्री सुनो मारा […]
(टेर) हरदम पिया के प्रित रस बिन म्हारी मन भटके अली आसाढ़ के मास विरह सुन बादल गहरा है चम चम चमके बिज विकल पिव के बिन हैरा है खबर बिन धीरज नहीं आवे तन मन बदन बैहाल विपत में नहीं कोई कछु भावे कहोनी मिलदा त्रृण अटके सखी सावण के मास सोक में सुंदर […]
सून में शहर शहर में बस्ती कून सूता कून जागे है ब्रह्म हमारा हम है ब्रह्म के तन सूता चैतन जाग है जल बिच कमल कमल बीच कलीया भवर वासना लेता है नव दरवाजा फैरी फिरता अलक अलक ही करता है अदर अणी पर आसन किन्हा तपस्वी तपस्या करता है पाँचों चैला सनभूख भेला निगुण […]