फलों का राजा आम – विनोद चंद्र पांडेय विनोद

राजा फलों का आम है। इसका अनोखा रंग है। इसका अलग ही ढंग है।। सब ओर इसका नाम है। राजा फलों का आम है।। रस मधुर इसमें है भरा। यह लाल-लाल हरा-हरा।। पीला बड़ा अभिराम है। राजा फलों का आम है।। इसके अनेक प्रकार हैं। स्वादिष्ट अपरम्पार है।। समुचित सभी का दाम है। राजा फलों […]

बीज के अन्दर नन्हॉं पौधा – प्रभा माथुर

बीज के अन्दर नन्हॉं पौधा, सोया, उसे जगाएँ, मिट्टी में जा उसे दबाएँ पानी उसे पिलाएँ। जागो भाई, आँखें खोलो, ऋतु आई अनुकूल, संगी साथी जाग रहे सब, सोना है अब भूल। पानी पीकर, प्यास बुझाकर, उसने पॉंव बढ़ाया, आलस त्यागा, स्वस्थ हुआ, मिट्टी में पॉंव जमाया। फिर उसने बॉंहें फैलाईं, बाहर देखा झॉंका, धूप […]

युग दर्पण – नरेंद्र राय

भरोसा हाथों पे रख हाथ की लकीर न देख कोई तदबीर तो कर, हासिले तदबीर न देख तू सितारों को इरादों से बदल सकता है पलट-पलट के तू पंचांग को तकदीर न देख इरादा कर लिया तूफ़ानों से लड़ने का अगर सामना मौज़ों का कर, तू पलट के तीर न देख देना खैरात तो दे, […]

पुराने ज़माने में – राजकुमार कुम्भज

पुराने ज़माने में चतुर्दिक नदियां थीं नहाने और मौज करने के लिए आज के ज़माने में चतुर्दिक रेगिस्तान हैं पता नहीं कहॉं मिलेगा चुल्लू भर पानी डूब मरने के लिए?

नवयुग में नारी – सुनील सूद सुनीला

बिन द्रौपदी संभव नहीं महाभारत, रामायण का आधार है सीता गार्गी, मैत्रेयी, अरुन्धती को जग ने जाना उत्कृष्ट धर्म ज्ञान की ज्ञाता नारी के पाण्डित्य-भाव को, मैं करूं सहस्र नमन   सुभद्रा के सुत अभिमन्यु ने मॉं गर्भ-अर्जित ज्ञान से कौरवीय चक्रव्यूह में अद्वितीय धाक जमाई थी दूजी सुभद्रा की झॉंसी रानी ने तो, अंग्रेजों […]

चार मुक्तक – अनुप भार्गव

प्रणय की प्रेरणा तुम हो विरह की वेदना तुम हो निगाहों में तुम्हीं तुम हो समय की चेतना तुम हो   तृप्ति का अहसास तुम हो बिन बुझी सी प्यास तुम हो मौत का कारण बनोगी जिन्दगी की आस तुम हो   सुख-दुःख की हर आशा तुम हो चुंबन की अभिलाषा तुम हो मौत के […]

खुश होने का ह़क दे दो

मेरे खुदा मुझे माफ कर दो पापों को मेरे तुम साफ़ कर दो   खुश होने का ह़क दे दो खुशी दे दो मान दे दो   यूँ बेबस, बर्बाद न करो मेरे सवालों को जवाब दे दो दिखा दो मेरे सुख की तस्वीर मेरे खुदा मुझे खुशी दे दो   जो छीना है मुझसे, […]

मई का महीना – सुमन पाटिल

गर्मी के दिन मई का महीना आग उगलता सूरज पिघलती सड़क भागते-दौड़ते लोग पसीने से तरबतर चारों ओर मोटर गाड़ियों का शोर सुबह से शाम निरंतर, गगनचुंबी इमारतें मंज़िलों पर मंज़िल छोटे-छोटे घर छोटा-सा परिवार, बंद सब खिड़कियॉं झांकती न चांदनी छत नहीं न आंगन कूलर पंखे की घर्र-घर्र रातभर, नींद में डालते खलल मच्छर, […]

फूल से चेहरे को आँचल में छुपा कर रखना – लतीफ ‘आरजू’ कोहीरी

नियतें ठीक नहीं खुद को बचाकर रखना आज के दौर में हर कोई है सहमा-सहमा दिल मिले या न मिले हाथ मिलाकर रखना बेवफा व़क्त है कब जाने दगा दे जाए आज के काम को कल पर न उठाकर रखना भटक न पाए कोई रास्ता चलते-चलते घर की दहलीज पे कंदील जला कर रखना दोस्ती […]

आँख डबडबाई है – माधवी कपूर

फिर से गहराये सुरमई बादल फिर हवाओं में नमी आयी है क्या कोई आँख डबडबाई है   कौन गुजरा करीब होके अभी किसका साया-सा झिलमिलाया है किसकी आँखें ये शबनमी-सी हुईं किसने आवाज़ दे बुलाया है जाने वाले ने यह नहीं सोचा दिल कोई आईने सा टूटेगा कैसे गुजरेंगे पहाड़ों से दिन कैसे दामन ग़मों […]