रिश्तों का रिश्ता

“”यह वही जमीन है, जिसे पाने के लिए पिताजी, जिन्हें हम प्यार से दादा कहते थे और हमारी पट्टी के बड़के दादा, जो हमारे खास पाटीदार थे, दोनों ने कमिश्र्न्नरी तक मुकदमा लड़ा था। जिस दिन मुकदमे की तारीख पड़ती थी, उससे दो दिन पहले ये दोनों अल-सुबह चिड़ियॉं चहकने से पहले ही घर से […]

मास्टजी

अन्य दिनों के समान उस दिन भी मास्टर जी प्रातः चार बजे जाग गये। अचानक ही उन्हें अपने रिटायरमेंट की बात याद आ गयी। वे कल ही तो रिटायर हुए। बड़े सम्मान तथा शानोशौकत के साथ स्कूल-स्टाफ और छात्रों ने उनके विदाई समारोह का आयोजन किया था। गाजे-बाजे के साथ उन्हें घर तक पहुँचा कर […]

अंतर्मन

कल शाम हरीतिमा अपने सास-ससुर सहित मेरे घर पधारी तो मैं चौंक गयी। हम दोनों एक-दूसरे के यहॉं आते-जाते रहते हैं, पर अंकल-आंटी तो कभी नहीं आये। डाइवर ने मिठाई का डिब्बा और फलों का टोकरा कोने में रखा और वे दोनों बेतकल्लुफी से सोफे पर बैठ गये। “”रजनी बेटे, ज्योति को बनाने में तुम्हारा […]

दोहरी फॉंस

दोपहर का वक्त था। घर के सब काम निपटाकर कर जावित्री ने लच्छो से कहा, “”बेटी, तू अन्दर से किवाड़ बंद कर ले, मैं माधौलाल के घर मातम में जा रही हूं। आजकल जमाना ठीक नहीं है। शाम तक तेरे बापू लौट आयेंगे। मैं खुद ही दिन डूबने से पहले आ जाऊंगी।” लच्छो जावित्री की […]

आधार-निराधार

बच्चे को स्कूल और इनको दफ्तर भेज, मैंने बाल्टी उठाई और बाहर लॉन में आ गई, गीले कपड़े सुखाने के लिए। अनायास मेरी निगाह दो नंबर की तरफ उठी। हम एक नंबर में, वीरेन्द्र बाबू दो नंबर में रहते हैं। बीच में अनार की झाड़ियों की ऊंची फेंसिंग है। शायद इससे भी ऊंची एक फेंसिंग […]

नगर सेवक

आधी रात के बाद से ही बेनी प्रसाद के तिमंजिले से रहमत मंजिल पर ऩजर रखी जा रही है। हालॉंकि पुलिस ने इस बात को गुप्त रखा है, लेकिन बेनी प्रसाद को सुराग लग गया है कि रहमत मंजिल में आतंकवादी छिपे हैं। इसलिए बार-बार वे स्वयं से प्रश्र्न्न कर रहे हैं कि ऐसा कैसे […]

मुझे माफ कर देना

कमरे में हल्की-सी रोशनी का वर्चस्व था। चहुंओर सन्नाटा छाया हुआ था। ललित अपनी रेस्ट चेयर पर बैठा एकटक छत पर लगे गाटरों की ओर देखे जा रहा था। उसके हाथों में शादी का कार्ड था। यह उसी मोनिका की शादी का कार्ड था, जो कभी ललित के लिए अपनी जान न्योछावर करने के लिए […]

मृगतृष्णा

इच्छाएँ मानवीय दुःखों का सबसे बड़ा कारण हैं। वैसे जरूरतें तो पूरी हो सकती हैं, परन्तु इच्छाएँ अनन्त हैं। उन पर पूर्ण विराम लगाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। नीमा की बर्बादी का कारण भी उसकी अपनी अनन्त इच्छाएं ही थीं वरना क्या नहीं था उसके पास? उच्च पद पर कार्यरत एक नेक, होनहार व […]

मेहनत की कमाई

मेहनत की कमाई

पौ फट चुकी थी। सड़क पर झाड़ू, बुहार के साथ धूल उड़ा रही थी। वह लगभग दौड़ती हुई-सी धूल के परदे को चीरती हुई  सड़क पार कर दाहिनी गली में मुड़ गई। कुछ दूर जाने के बाद उसने एक बंगले की डोरबेल बजाई। बड़ी-बड़ी आँखों वाली सेठानी ने दरवाजा खोला, क्या आज फुर्सत मिल गई […]

कामरेड मेहर सिंह की विरासत – पंजाबी कहानी

कामरेड मेहर सिंह की विरासत – पंजाबी कहानी

सुबह अखबारों पर उड़ती निगाह डाली। पहले रिश्तेदारी में एक अखंड-पाठ के भोज में जाना था और दो-तीन जगह प्रेस कांग्रेस थी। उनकी खबरें भेज कर सातेक बजे खाली हो गया था। यों सत्ता तो हर समय खबर में रहती है। क्या पता कब, कहॉं, क्या घट जाये? कोई दुर्घटना, पुलिस-रेड, धरना-प्रदर्शन, पचास तरह की […]