हैदराबाद मुक्ति संग्राम और आर्य-समाज

हैदराबाद राज्य का प्रथम संस्थापक ऩिजाम-उल-मुल्क (पहला ऩिजाम) था। इसी ऩिजाम ने मुगलों से दगाबा़जी कर राज्य को हड़प लिया था। औरंग़जेब के बाद मुगलों में सत्ता के लिए आपस में ही झगड़े-फसाद होते रहे और यह सिलसिला बढ़ता ही गया। इसका लाभ ऩिजाम-उल-मुल्क ने उठाया और सन् 1724 में दक्षिण प्रान्त में स्वयं को […]

पांडु

पांडु एक चंद्रवंशी राजा थे, जो पांडवों के पिता थे। इनके पिता विचित्रवीर्य अत्यधिक कामासक्ति के वशीभूत हो, क्षय रोग से पीड़ित होने के कारण अकाल ही मर गये। अंबिका और अंबालिका उनकी पत्नियां थीं। वे दोनों निःस्संतान थीं। अतः विचित्रवीर्य की माता सत्यवती की इच्छानुसार तथा भीष्म पितामह की अनुमति लेकर दोनों से व्यास […]

तिरंगा : राष्टीय एकता का प्रतीक

1857 के प्रथम स्वतंत्रता-संग्राम से भारतवासियों की राष्टीय-भावना में तीव्रता आई। यह युद्घ अलग-अलग झंडों के नीचे लड़ा गया था, परंतु सबने एक गीत को झंडा-गीत के रूप में अपनाया था। यह गीत था- हिन्दू, मुसलमान, सिख हमारा, भाई-भाई प्यारा, यह है झंडा आजादी का, इसे सलाम हमारा। यद्यपि हमारी क्रांति को कुचल दिया गया, […]

हमारी गन्दगी हमीं पर बरस रही है

बरसात के मौसम में चारों तरफ बरसात की ही चर्चा है, जहॉं बरसात हो रही है वहॉं बरसात होने की और जहॉं पर नहीं हो रही, वहॉं बरसात के न होने की। इस बरसात के संबंध में मुझे एक बुजर्ग ने एक कहानी सुनायी। एक गांव के किनारे एक पवित्र सरोवर था, उसके किनारे एक […]

बॉंट कर खाना यज्ञ है

लगभग बाईस हजार साल पूर्व उद्दालक ऋषि हुए। उषस्ति चक्रायण भी उसी युग के एक महान ऋषि थे। दोनों के पास अलग-अलग तरह का ज्ञान-विज्ञान प्राप्त करने के लिए शिष्यों का आवागमन होता था। उस समय गुरुओं का शिक्षा देने का ढंग भी अनोखा होता था। उद्दालक ने उषस्ति चक्रायण को ध्यान में रखकर अपने […]

रहस्य के घेरे में गोली लगा हिरन

सत्य ही कहा गया है कि हर व्यक्ति के अंदर शैतान भी छिपा है और भगवान भी। मानव कब क्या कर बैठेगा, उसे भी पता नहीं होता। अच्छा-भला धार्मिक मानव कब किसके साथ अत्याचार कर बैठेगा और पेशेवर दुष्ट कब कहां ठोकर खाकर सत्कर्म की ओर भाग पड़ेगा, कोई नहीं कह सकता। मेरा अनुभव तो […]

ज्ञान सागर भरता नहीं

आदि शंकराचार्य एक बार समुद्र के किनारे बैठे हुए थे, उनकी नजर समुद्र पर टिकी हुई थी, उनके साथ उनका शिष्य समुदाय भी था, जिससे बातचीत चल रही थी। अचानक एक शिष्य ने अपनी तरफ गुरु का ध्यान आकर्षित करने के लिए चाटुकारिता भरे शब्दों में पूछा, “”गुरुदेव! आपने इतना अधिक ज्ञान कैसे हासिल किया […]

फैसले के बाद भी शेष हैं कुछ सवाल

गर्भधारण के 23वें हफ्ते में मुंबई की निकेता मेहता को सोनोग्राम के जरिए मालूम हुआ कि उनके भ्रूण का पूरी तरह हार्ट ब्लॉकेज है और एक प्रमुख धमनी भी दोषपूर्ण है। अब उनके सामने दो रास्ते थे- एक अवैध रूप से गर्भपात करा लिया जाता क्योंकि कानूनन 20 हफ्ते के बाद गर्भपात कराना गैर-कानूनी है। […]

सद्गुरु की खुशी

एक राजा का बगीचा बहुत अच्छा था। उसमें उसने दो माली रखे हुए थे। एक माली मेहनती था। वह चुपचाप पेड़ों और फूलों को बड़े प्यार और तवज्जो से रखता था। उनकी कटनी-छॅंटनी किया करता था। दूसरा माली बड़ा आलसी था, किन्तु बातें बहुत करता था और यह दिखाता था कि वह बहुत काम कर […]

तुलसी

विष्णु-पूजा के लिए परम श्रेष्ठ एवं पवित्र एक पौधे का नाम है तुलसी। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार तुलसी नामक गोलोकवासी देवी राधा की सखी थी। किन्तु किसी कारणवश राधा के शापवश वह पृथ्वी पर राजा धर्मध्वज की पुत्री के रूप में जन्मी। तुलसी तथा शंखचूड़ तप करके दंपति बन गये। शंखचूड़ ने सारे संसार को […]